असम व जैनधर्म का संबंध है शताब्दियाें पुराना : दिगम्बर जैन महासभाध्यक्ष निर्मल सेठी

हनी झांझरी। असम व जैन धर्म का संबंध शताब्दियों पुराना है। ग्वालपाड़ा जिले के सूर्यपहाड़ की गुफाओं में मिलीं जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां इसका ज्वलंत प्रमाण हैं। सिर्फ असम ही नहीं, अपितु समूचे पूर्वोत्तर में जैन इतिहास की कडियां बिखरी पड़ी हैं, जिन्हें जोडने के लिए दिगम्बर जैन महासभा प्रयासरत हैं।

श्री सूर्यपहाड पर चट्टानाें पर खुदी जैन तीर्थंकराें की प्रतिमाएं

यह बात श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्मल सेठी ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कही। मालूम हो कि 22 व 23 फरवरी को विजयनगर स्थित श्री दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ मंदिर परिसर में श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा के 125वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य पर दो दिवसीय कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी संदर्भ में आज स्थानीय जैन भवन प्रांगण में दोपहर 2 बजे एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।

प्रेस वार्ता का दृश्य

इस दौरान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्मल सेठी, स्वागताध्यक्ष राजकुमार सेठी, जाने माने साहित्यकार व जैन समाज के राष्ट्रीय मुखपत्र ‘जैन गजट’ के पूर्व प्रधान संपादक कपूर चंद पाटनी, विजयनगर जैन पंचायत के अध्यक्ष शांतिलाल बगड़ा भी मंचासीन थे। विजयनगर जैन पंचायत के मंत्री ललित अजमेरा के संचालन में हुई इस प्रेस वार्ता के प्रारंभ में उपस्थित सभी अतिथियों व पत्रकारों का फूलाम गमछा पहनाकर स्वागत किया गया।

विजयनगर जैन पंचायत द्वारा अतिथियाें का स्वागत

सर्वप्रथम कपूरचंद पाटनी ने जैन महासभा के 125 वर्ष के इतिहास पर प्रकाश डाला व वर्तमान के अध्यक्ष निर्मल सेठी के नेतृत्व में जैन धर्म की प्राचीनता की रक्षा व संवर्धन के लिए उनके अवदानों पर चर्चा की। तत्पश्चात महासभाध्यक्ष निर्मल सेठी ने असम तथा पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों, भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों व विदेशों में फैले जैन धर्म के पुरातात्विक महत्व की स्मारकों के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए जैन धर्म के इतिहास पर अधिक शोध के लिए उठाये गये कदमों की जानकारी दी।

प्रेस वार्ता का संचालन करते जैन पंचायत के मंत्री

उन्होंने तिरुपति बालाजी, बद्रीनाथ आदि धार्मिक स्थलों के मूल इतिहास को जैन धर्म से जोड़ा, कालान्तर में हिंदू प्रभाव के कारण इन तीर्थ स्थलों का रुपांतरण होने की बात कही। अफ्रीकी देश इथोपिया में प्राप्त सिद्धशिला को दिखाते हुए जैन धर्म में इसके महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने भारत सरकार से विदेशों में जैन पुरातत्व के स्मारकों के संरक्षण के लिए उचित कदम उठाये जाने की भी मांग की।

श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभाध्यक्ष निर्मल सेठी

प्रेस वार्ता में राजकुमार सेठी ने महासभा के 125 वर्ष के इतिहास पर प्रकाश डाला एवं राजा लक्ष्मणदासजी से लेकर निर्मल कुमार सेठी के नेतृत्व में जैन धर्म के संरक्षण, संवर्धन के लिए किये गये अवदानों की जानकारी दी। इन दो दिवसीय कार्यक्रमों में जैन पुरातत्व, जैन अल्पसंख्यक तथा 125 वर्षों के महासभा के गौरवशाली इतिहास पर विभिन्न सत्रों के माध्यम से चर्चा होने की जानकारी दी।

महासभाध्यक्ष का फूलाम गमछा से स्वागत करते जैन पंचायत के अध्यक्ष

इस दौरान जैन समाज के प्रशासनिक अधिकारियों का भी एक विशेष सत्र आयोजन किया जायेगा। महासभा के 125 वर्षों के इतिहास में पूर्वोत्तर प्रांत से भूतपूर्व अध्यक्ष स्व. भंवरीलालजी बाकलीवाल, स्व. राय साहब चांदमलजी पांड्या, स्व. लिखमीचंदजी छाबड़ा सहित महासभा के भूतपूर्व पदाधिकारियों के योगदान को भी स्मरण किया जायेगा।

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